Indian XX Story

Sunday 9 August 2020

लॉकडाउन में फिर से दीदी को चोदा



युविका दीदी की शादी के बाद वो अपने पति के साथ रहती थी और साथ में वो नौकरी भी करती थी। इस कारण से वो शादी के बाद 2 साल तक हमारे घर नहीं आयी। हमने आपस में बात करना बिल्कुल बन्द सा कर दिया था।


मेरी गर्लफ्रेंड है जिसका नाम आँचल है। वो बहुत ही सेक्सी लड़की है। उसकी हाइट बहुत लंबी है और कमर एकदम पतली। उस पर काफी लड़के फ़िदा थे लेकिन वो मेरी ही किस्मत में लिखी थी।
गर्लफ्रेंड की चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आता था. आंचल की मुझे एक बात अच्छी लगती थी कि वो मेरी बहन युविका की तरह ज्यादा खुले विचारों वाली नहीं थी. मगर उसकी एक बात मुझे बुरी भी लगती थी कि उसे चुदाई करवाना ज्यादा पसंद नहीं था.

जब भी मैं उसकी चूत चोदने की बात करता या सेक्स करने के लिए रिक्वेस्ट करता तो वो मुझे हमेशा ये सब करने के लिए मना कर देती थी। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण मैं उसे इन 2 सालों में सिर्फ 8-10 बार ही चोद पाया था। इतना तो मैं अपनी दीदी को एक दिन में ही चोद दिया करता था।
मैं चाहता तो आंचल को छोड़ सकता था मगर जो मज़ा उसे चोदने में आता है वो किसी और लड़की को चोदने में नहीं है। अगर आप मेरी गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई की एक अलग कहानी चाहते हैं तो मुझे मेल या कमेंट जरूर करें। मैं आपको बताऊंगा कि मेरी गर्लफ्रेंड की चुदाई मैं कैसे करता हूं और मेरा क्या अनुभव है उसके साथ।
दीदी और मेरी चुदाई की इस कहानी को समझने के लिए आप मेरी पुरानी सिस्टर ब्रदर इन्सेस्ट कहानियां जरूर पढ़ें।
अब आज की कहानी पर आते हैं।
मेरी दीदी की एक सहेली थी जिसका नाम अरुणा था। किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गयी। उनका घर हमारे शहर में ही था।
ये बात जब युविका दीदी को पता चली तो वो बहुत दुखी हुई और वो अपनी सहेली को अंतिम विदाई देने के लिए हमारे घर आ गयी।
उस दिन मैं घर में नहीं था और न ही मुझे दीदी के आने की खबर थी।

मैं रात को 9 बजे घर आया। मैंने घर की घण्टी बजायी तो दीदी ने दरवाजा खोला। मैं दीदी को देख कर भौंचक्का रह गया।
मैंने दीदी को 2 साल से नहीं देखा था। मुझे यकीन करने में थोड़ा समय लग गया कि क्या ये दीदी ही है?
मेरे मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं?
फिर दीदी ने ही पहल की और कहा- अंदर आएगा या यहीं खड़ा रहेगा?
उसके टोकने पर मैं अंदर आ गया और दीदी ने दरवाजा बंद कर दिया।
दीदी- कैसा है?
मैंने हिचकिचाते हुआ कहा- ठीक हूँ।
दीदी- इतना डर क्यूँ रहा है, मैं क्या चुड़ैल दिख रही हूँ?
मैंने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और दीदी को जी भर कर देखता रहा।
इतने में मम्मी ने कहा- आ जा हाथ मुंह धो ले और खाना खा ले।
उसके बाद मैं गया और फ्रेश होकर आया. फिर सब लोग खाना खाने बैठ गए। इतने में कमरे के अंदर से दीदी के बेटे की रोने की आवाज़ आने लगी। तब मुझे याद आया कि दीदी का बच्चा भी हो गया है।
दीदी बच्चे के पास चली गयी और हमने खाना खाया और मैं सीधा अपने कमरे में चला गया। वहाँ मैं सोचने लगा कि वक्त कितनी तेजी से गुजर गया. पहले भाई बहन के बीच इतनी लड़ाई होती थी और फिर सेक्स भी होने लग गया और दीदी की शादी हो गयी और अब देखो, अब दीदी का बच्चा भी हो गया है।
ऐसा सोचते सोचते मैं सो गया। सुबह मैं थोड़ा लेट उठा। मुझे दीदी से बात करने में पता नहीं क्यूँ थोड़ा अजीब लग रहा था। मगर मैंने अपने आप को संभाला और शांत होने की कोशिश की। अब मैंने दीदी की नज़रों में नज़रें मिलाना शुरू कर दिया और कुछ बातें करने लगा।

मैंने दीदी से कहा- तुम तो पूरी बदल गयी हो। लग ही नहीं रहा कि तुम वही पुरानी युविका हो।
दीदी- हाँ, बदल तो गयी हूँ, पर तुम अभी भी वैसे ही हो।
इस तरह हमने बहुत सी बातें कीं और सब कुछ नार्मल हो गया। तभी मुझे पता चला कि पापा-मम्मी मेरी नानी के घर जा रहे हैं जहाँ भागवत चल रहा है। मुझे इसलिए नहीं बताया क्यूंकि मैं ऐसे कार्यक्रमों में नहीं जाता था।
फिर मुझे पता चला कि दीदी भी आज ही चली जायेगी और अपनी सहेलियों से मिलेगी और वहीं से एक हफ्ते बाद वो भी वापस चली जायेगी। ये सुनकर पता नहीं क्यों मुझे बहुत दुःख हुआ।
2 घण्टे बाद सब लोग चले गए और मैं भी बाहर चला गया। शाम को मैं जब घर आया तो सोते हुए मुझे दीदी के ख्याल आने लगे। मेरे दिल में दीदी के लिए फिर से इच्छायें जागने लगीं।
तब मैंने ध्यान दिया कि दीदी का शरीर अब थोड़ा मोटा हो गया है मगर साथ ही अब उनके स्तन और चूतड़ बहुत बड़े बड़े हो गए हैं। लगता है कि जीजा जी ने दीदी को बहुत चोदा होगा। दीदी जब चलती है तो उसके चूतड़ों को देख कर बहुत अच्छी फीलिंग आती है।
दीदी का रंग भी पहले से बहुत ज्यादा निखर गया था और एक लाली सी आ गयी थी उसके बदन पर। ये सोच सोच कर मैं पागल होने लगा और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। उत्तेजित होकर मैंने जल्दी से अपनी गर्लफ्रेंड की नंगी फ़ोटो देख कर मुठ मारी और सो गया।
अगले दिन मैं अपनी गर्लफ्रेंड आँचल को बाहर घुमाने ले गया और सारा दिन उसे घुमाया।
बाद में मैंने उसे चुदाई के लिए पूछा तो उसने कहा कि अभी उसके पीरियड्स हैं तो वो चुदाई के लिए तैयार नहीं है।
तो मैंने उसे ज्यादा फोर्स भी नहीं किया और न ही ज्यादा कुछ बोला. फिर हम घूम फिर कर वापस घर आ गये.
ये उन दिनों की बात है जब शुरू शुरू में कोरोना वायरस के चलते दुनिया में चारों और उथल पुथल मचने लगी थी। फिर भारत में भी मामले आने शुरू हो गये.
पहले तो मैं आसानी से बाहर घूम रहा था मगर बाद में घूमने पर प्रतिबन्ध लगने लगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू हो गया। इसके चलते दीदी किसी जगह अपने बच्चे के साथ फंस गई।

दीदी अपनी सहेलियों के साथ होटल में ही रही किंतु बाद में होटल भी बंद हो गया. होटल बंद हो जाने के बाद दीदी किसी तरह से हमारे घर तक पहुंच पाई. मगर मम्मी पापा भी बाहर गये हुए थे तो वो भी नहीं लौट पाये.
अब घर में दीदी और मैं ही थे। मेरे मन में दीदी को चोदने के बहुत ख्याल आया रहे थे मगर किसी तरह मैंने इन पर काबू रखा। दीदी ने बताया कि उसका पति 2 दिन बाद उसे लेने आ जायेगा और फिर वो चली जायेगी।
ये सुन कर मेरे अंदर से आवाज़ आने लगी कि मैं दीदी को इन 2 दिनों में चोद सकता हूँ। मगर मेरे सामने मुश्किल ये थी कि मुझे दीदी को सेक्स के बारे में पूछने में डर लग रहा था।
उस दिन मैंने दीदी के बदन को बहुत गौर से देखा। तभी दीदी का बेटा रोने लगा. वो उसे चुप करा रही थी और मेरे सामने ही बैठी हुई थी. वो चुप नहीं हो रहा था इसलिए दीदी ने अपना कमीज उठा कर अपनी चूची को बाहर निकाल लिया और बच्चे के मुंह पर अपना निप्पल लगा दिया.
वो मेरे सामने ही उसको दूध पिलाने लगी. दीदी के स्तन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं गर्म होने लगा. मेरा मन दीदी की चुदाई के लिए मचलने लगा. मैंने निश्चय कर लिया कि आज दीदी से चुदाई के लिए पूछ कर ही रहूँगा।
दीदी बच्चे को दूध पिला ही रही थी कि मैंने दीदी से बातें करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में दीदी का बेटा सो गया और दीदी उसे लिटा कर आ गयी। हमने बहुत बातें की और अब हम दोनों इतने घुल मिल गए थे कि सब पहले की तरह हो गया।
मैंने मौका देखते ही दीदी से कहा- दीदी, मुझे पुराने दिन बहुत याद आते हैं।
ये सुन कर दीदी थोड़ी देर चुप हो गयी और थोड़ी देर में एक लंबी सांस लेकर बोली- वैसे आजकल नीचे वो स्कूल बस नहीं दिखती और न ही दास अंकल?
उसके सवाल पर मैं बोला- हां, आजकल बस स्कूल में ही खड़ी होती है और ड्राइवर अंकल भी वहीं रहते हैं और दास अंकल भी रिटायर हो गए हैं, उनकी जगह उनका बेटा होता है।
दीदी ने हंसते हुए कहा- अच्छा तो मेरी चुदाई की ये सज़ा मिली उन्हें?
इस पर हम हंसने लगे।

दीदी ने फिर कहा- तेरी वो गर्लफ्रेंड अभी भी है या ब्रेकअप हो गया?
मैं- नहीं, अभी ब्रेकअप नहीं हुआ है, वो है अभी। न मैं उसको छोड़ सकता हूँ और न वो मुझे छोड़ सकती है।
दीदी- तो उसके होते हुए तू मुझे फिर से पटाने की कोशिश क्यूँ कर रहा है?
इस पर मैं बोला- दीदी, उसे चुदाई और सेक्स ये सब ज्यादा पसंद नहीं है। इसलिए वो मुझे ज्यादा करने नहीं देती. रही बात आपको पटाने की तो 3 साल हो गए हैं आपके साथ सेक्स किये। उसके बाद इतना मजा कभी आया ही नहीं, तो सोचा 2 साल बाद मिले हैं और परसों तुम चली जाओगी तो एक बार पूछ लेता हूँ।
दीदी थोड़ी देर चुप रही और कुछ देर बाद उसने कहा- ठीक है। आखिर तुम मेरे भाई हो और उस समय तुमने मेरी भी प्यास बुझाई थी, तो ठीक है मैं तैयार हूँ। आज रात और कल पूरा दिन तुम मुझे जितना चोदना चाहते हो चोद लेना, मगर इसके बाद इसके लिए कभी मत पूछना।
ये सुन कर मैं बहुत खुश हो गया।
मैं- अरे दीदी! तुम बहुत अच्छी हो। मैं वादा करता हूँ कि मैं आपको इस समय में बहुत मजे दूंगा।
फिर हम दोनों हंसने लगे।
रात हो चुकी थी और उस समय बाहर जाने पर प्रतिबन्ध लग गया था।
मैं- दीदी! बाहर जाने में बहुत खतरा है लेकिन मैं आपके लिए कोई भी रिस्क लेने के लिए तैयार हूं. मैं बाहर जाकर कॉन्डोम और दवाईयां लेकर आ जाता हूं.
तभी दीदी ने मुझे रोकते हुए कहा- इसकी जरूरत नहीं है। अब मैंने ऑपरेशन करा लिया है. अब तू मुझे बिना कंडोम के भी चोदेगा तो मैं प्रग्नेंट नहीं हो सकती हूं।
ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गया।
मैंने दीदी को अपनी ओर खींचा और उसे अपनी बांहों में लेकर जल्दी से किस करना शुरू कर दिया.
मगर दीदी ने मुझे हटा दिया और बोली- पहले खाना बना लेते हैं और उसके बाद सेक्स करेंगे.
मुझे सेक्स करने की जल्दी थी और दीदी की चूत में लंड पेलने की भी बहुत जल्दी थी. मैंने दीदी से कहा कि मुझे भूख नहीं है, अगर तुम्हें भूख लगी है तो मेरा वीर्य पी लेना, उससे तुम्हारी भी भूख कम हो जायेगी.

इतना कह कर मैं दीदी को फिर से किस करने लगा और अब दीदी भी मेरा साथ देने लगी। मुझे तो पुराने दिनों की याद आने लगी। मैं दीदी के ऊपर लेट गया था। किस करते करते हम दोनों बहुत जोश में आ गए थे।
तभी मैं दीदी के ऊपर से उठा और मैंने कहा- दीदी तुम्हारे स्तन और चूतड़ बहुत बड़े बड़े हो गए हैं। मैं उन्हें देखना चाहता हूँ।
दीदी बोली- हां तो देख ले, ऐसे बोल रहा है जैसे पहले तूने कभी मेरे चूतड़ और चूचियां देखी ही नहीं हों.
मैं बोला- देखी हैं लेकिन अब अलग ही मजा है उनको देखने का.
इतना कह कर मैंने दीदी की कमीज़ खोल दी और पाया कि अंदर दीदी ने पिंक कलर की सेक्सी सी ब्रा पहनी थी। मुझसे ज्यादा वेट नहीं हुआ और मैंने ब्रा खोल दी।
ब्रा खोलते ही दीदी के बड़े बड़े स्तन मेरे सामने आ गए। मैंने सोचा भी नहीं था कि दीदी के स्तन इतने बड़े हो गये होंगे।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी आप तो किसी को अपने चूचे छूने तक नहीं देती थी, तो अब ये इतने बड़े कैसे हो गए?
दीदी ने कहा- ये तेरे जीजा की करामात है। उनको इनके साथ खेलना बहुत पसंद है। सुहागरात वाले दिन उन्होंने मेरे स्तनों को बहुत मरोड़ा। इतना मरोड़ा था कि इनसे खून निकलने लगा था।
ये सुनकर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड कड़क हो गया। मैं भी दीदी के बूब्स के साथ उसी तरह से खेलना चाहता था इसलिए मैंने युविका के स्तनों को ज़ोर से दबा दिया. मेरी पकड़ कुछ ज्यादा ही टाइट थी जिससे दीदी को दर्द हो गया और दीदी ने मुझे हटा दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
दीदी बोली- तू इनके साथ नहीं खेल सकता। अभी मैं नयी नयी माँ बनी हूँ, इसलिए मेरे स्तनों में दूध है और इतनी जोर से दबाने से इनमें दर्द होता है।
तभी मैंने ध्यान दिया कि मैंने दीदी के स्तन इतनी जोर से दबा दिये थे कि उनसे दूध निकल गया था और निप्पल के आसपास का एरिया और नीचे तक उसके स्तन दूध से सन से गये थे.

मैंने धीरे से दीदी के दूध लगे चूचों पर अपनी जीभ से चाट लिया. दीदी भी थोड़ी कामुक हो गयी और मेरा लंड भी अकड़ कर दर्द करने लगा. अब शायद दोनों ही भाई बहन उन पुराने दिनों की यादों को फिर से ताज़ा करने के लिए तैयार हो गये थे.

Tuesday 20 August 2019

इंडियन वाइफ की चुदाई पति के बॉस से (Indian Wife Ki Chidai Pati Ke Boss Se)

मेरा नाम मनीषा है, मैं दिल्ली से हूं. मेरा फिगर ऐसा है कि अगर कोई मर्द देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए. मेरे आस पड़ोस में जितने भी मर्द है सब मुझे आँखों आँखों में घूरते हैं, मुझे चोदना चाहते हैं वे चाहते हैं कि इस भाभी को हम पटक पटक कर चोदें।

                    

मेरे हस्बैंड भी मुझे बहुत चोदते हैं, मैं भी उनका भरपूर साथ देती हूं। वे अक्सर मुझे किसी दूसरे मर्द से चुदने के लिए रिझाते हैं। जब मैं बेड पर होती हूं तो किसी दूसरे मर्द से चुदने के नाम पर मैं भी पागल सी हो जाती हूं और खुद अपने हस्बैंड को चोदने के लिए बोलती हूँ। रोज एक व्यक्ति के साथ सेक्स, चाहे आप उसे कितना भी प्यार करते हों, बोर होने लगता है. मैं अपने हस्बैंड से बहुत प्यार करती हूं लेकिन फिर भी मुझे किसी दूसरे आदमी के नाम पर चुदना बहुत अच्छा लगता है। हमारी इस सेक्स लाइफ में अब यह रोजाना का काम था। और कहते हैं ना कि आप जो जिंदगी रोज जीने लगते हैं वह एक दिन सच भी होने लगती है. बेड पर मेरा और मेरे हस्बैंड का किसी दूसरे मर्द का नाम सुनते ही गर्म हो जाना उनका मुझे खूब चोदना और मेरा उनसे खूब चुदना।


अब मैं और मेरे हस्बैंड सच में किसी को ढूंढने लगे जिस पर हम भरोसा कर सकें और जो हमारी जरूरत को पूरा कर सके.
मेरे हस्बैंड ने कहा- जो मेरे बॉस है ऑफिस में, जो हमारे घर पर अक्सर आते भी रहते हैं, वे अक्सर तुम्हारे बारे में पूछते रहते हैं कि भाभी कैसी हैं.

खुद मैंने भी यह बात नोट की थी कि जब वे हमारे घर किसी फंक्शन या पार्टी में आते थे तो वे मुझे बहुत देखते थे. तब शायद मैंने उन पर इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन जब मेरे हस्बैंड ने कहा कि ऑफिस में भी अक्सर मेरे बारे में पूछते रहते हैं तब मैंने उन पर ध्यान देना शुरू किया.

शायद मेरे हस्बैंड ने मुझमें किसी और मर्द से चुदने की लालसा बढ़ा दी थी इसलिए मैंने अपने हस्बैंड से कहा- क्यों ना आप एक दिन अपने बॉस को घर पर बुलाओ और जैसे आप कहते हो कि आप मुझे किसी और से चुदते हुआ देखना चाहते हो और क्यों ना हम अपनी यह ख्वाहिश पूरी करें।

                 


मेरे हस्बैंड मेरी तरफ देखने लगे, वे मेरी मांग में लगा सिंदूर देखकर पूछने लगे- क्या सच में तुम किसी और से चुदना चाहती हो?
मैंने भी हंसकर हां कह दी और फिर वहां से चली गई.

मेरे हस्बैंड मुझे जाते हुए देखते रहे.

फिर वो ऑफिस चले गए जब वह शाम को आए तो उन्होंने मुझसे कहा- जान मैंने तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दी, मैंने अपने बॉस को आज खाने पर बुलाया है, बस आज तुम उनका मनोरंजन कर दो ताकि मेरा प्रमोशन हो जाए और वे खुलकर तुम्हें मजा दें.

मैं यह सोचकर ही कि आज मैं दो लोगों की जरूरत का हिस्सा बनने वाली हूं, पागल सी हुई जा रही थी.

फिर हमने खाने की तैयारी शुरू कर दी. हम सारा इन्तजाम कर चुके थे.

बस मुझे तो आज दो मर्दों से एक साथ चुदने की लालसा थी.
आप सोच सकते हो कि दो मर्दो के बीच में एक औरत … वाह क्या नजारा होता है! दोनों उसे खाने को तैयार।

मैंने एक बहुत सेक्सी सी ड्रेस पहनी जिसमें मेरी सफेद जांघें दिख रही थी दूध जैसी मलाई चिकनी बिल्कुल!

वो करीब रात को 9:00 बजे आए. मुझे देखते ही उनके बॉस की नजर सीधे मेरी जांघों पर गई लेकिन हम खाना खाने लगे.

मेरे हस्बैंड ने उनके लिए ड्रिंक्स का भी अरेंजमेंट किया था. हम सब 4-5 पैग पीने के बाद सब एक दूसरे को हवस की नजर से देखने लगे। मैंने खुद उनके बॉस के लिए पेग बनाए. जब मैं झुक कर उनके बॉस के लिए पेग बनाती थी तो मेरे बूब्स देखकर उनके बॉस की आंखों में चमक आ जाती थी.

बातों ही बातों में, कुछ नशे में उनके बॉस मेरी तारीफ करने लगे.
मेरे हस्बैंड ने कहा- यह आज सिर्फ आपके लिए तैयार हुई है.

बॉस समझ चुके थे कि आज हमारा इरादा नेक नहीं था. आज उन्हें वह मिलने वाला था जिसका वह कई वर्षों से इंतजार कर रहे थे, आज मनीषा उनकी होने वाली थी.

उन्होंने ऐसे ही बातों ही बातों में मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी और खींचा. मैं उफ करते हुए उनकी ओर चली गई और जाकर उनकी गोद में बैठ गई. वह अपने हाथ की उंगलियां मेरे बालों से लेकर मेरे होठों पर फिराने लगे.

मेरे हस्बैंड यह सब देख रहे थे. फिर उन्होंने मेरे कंधे पर से ड्रेस को उतारना शुरू किया और धीरे-धीरे सारी ड्रेस को मेरे बदन से अलग कर दिया. अब मैं उनके सामने सिर्फ बिकनी में बैठी थी. मेरे सफेद बूब्स काली ब्रा में कैद थे … बॉस उन्हें ही देखे जा रहे थे. ऐसे घूर रहे थे मानो जैसे उन्हें खा जाएंगे.

फिर मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें बेड की तरफ ले गई. मेरे हस्बैंड वहीं पर पेग पीते रहे. शायद कुछ देर के लिए मेरे हस्बैंड हमें डिस्टर्ब नहीं करना चाहते थे क्योंकि वह जानते थे कि कुछ देर के लिए मैं बस उससे ही चुदना चाहती हूं.

अंदर बेड पर जाकर में सीधे लेट गई और उनके बॉस ने सीधे मेरी पेंटी और ब्रा मेरे शरीर से अलग कर दी. अब मेरी चिकनी चूत उनके सामने खुली पड़ी थी. वे सीधे मेरी चूत को चाटने लगे. मैं उनके बालों को पकड़कर उनमें हाथ फिराने लगी. मैं पागल सी हुए जा रही थी, मेरी सांसें एकाएक तेज हो गई थी. उनका स्पर्श मुझे अच्छा लग रहा था.

कुछ देर मेरी पुसी को सक करने के बाद वे मेरी चूचियों पर आ गए और उन्हें खूब मसल डाला।

               

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था, वह बहुत बुरी तरह से गीली हो गई थी. मैं जानती थी कि अब अगर वह अपना लंड अब मेरी चूत पर रख भी देंगे तो वह सीधा अंदर चला जाएगा. मैं बस इंतजार कर रही थी उनका लंड अपनी चूत में लेने का।

बॉस ने मुझे ऐसे ही किस करते करते मेरी चूत में लंड डाल ही दिया. मैं वर्षों की प्यासी जैसे आज बस उसकी हो जाना चाहती थी. उसके कंधे पकड़कर मैं आह करती हुई बस उसके लंड से झड़ना चाहते थी। वे मुझसे ऐसे चिपके हुए थे जैसे मानो मुझे कभी छोड़ेंगे ही नहीं।

फिर अचानक मैंने महसूस किया कि और भी हाथ मेरे बदन पर चल रहे हैं. मैंने अपनी आंखें खोली तो देखा कि मेरे हस्बैंड भी मेरी गर्दन और मेरी चूचियों पर अपने हाथ फिरा रहे थे और उनका लंड ठीक मेरे मुंह के सामने था. मैंने अपने पति का लंड सीधा अपने मुंह में ले लिया और उनको मजा देने लगी.

कुछ देर इसी पोजीशन में करने के बाद हमने पोजीशन बदलनी चाही। लेकिन मेरे हस्बैंड को यह पसंद था, वह हमेशा से चाहते थे कि दो मर्दों के बीच में मैं अकेली हूं और वे दोनों मुझे चोदें.

मेरे हस्बैंड ने अपने बॉस से कहा- सर, आप सीधे लेट जाइए! और मुझे उनके लंड के ऊपर चूत सेट करके बिठा दिया. फिर पीछे आकर उन्होंने भी अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. यह पोजीशन मुझे भी शुरू से पसंद थी आज मैं अपनी चूत में दो दो लंड ले रही थी.

उनके बॉस मुझे नीचे से मेरी चूचियों को पीते और मुझे चोदते और पीछे से मेरे हस्बैंड मेरी कमर पर किस करते और मुझे चोदते! मैं एक साथ बहुत नोची जा रही थी. फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था … मैं आनंद की गहराई में गोते लगा रही थी.

उन दोनों ने मेरी कमर और मेरे पेट को अपने हाथों से जकड़ रखा था जैसे मैं उन्हें छोड़कर कहीं चली जाऊंगी. पर आज तो मैं बस खूब चुदना चाहती थी।

हमने इस पोजीशन में 15-20 मिनट तक सेक्स किया. मेरे हस्बैंड इस बीच झड़ने वाले थे, उन्होंने ऐसे ही मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया और वो मुझे और अपने बॉस को छोड़कर अलग हो गए.

अब बस नीचे से उनके बॉस मेरी चूत में धक्के मार रहे थे।

फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा. मैं अपने पति के बॉस के सामने घोड़ी बन गई और फिर उन्होंने कंडोम से लगा लंड मेरी चूत में डाल दिया. इस पोजीशन में मुझे थोड़ा दर्द हुआ.

कभी उनके बॉस मेरे कूल्हों पर मारते, कभी मेरी कमर पर किस करते! मैं भी उनका भरपूर साथ दे रही थी.

अब शायद उनका भी होने वाला था, उन्होंने मुझे ऐसी घोड़ी बने बने मेरी चूत में अपना सारा वीर्य छोड़ दिया. इन सबके बीच मैं अब तक तीन चार बार झड़ चुकी थी, मेरी जांघें अब कांपने लगी थी. तो हमने थोड़ी देर आराम करने का निश्चय किया. हम तीनों बेड पर लेट गए.

लेकिन 15-20 मिनट बाद इनके बॉस फिर से तैयार हो गए। मैंने उनसे कुछ देर रुकने के लिए कहा लेकिन वे नहीं माने, मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगे.

               


मुझे बहुत दर्द हुआ पर कुछ देर बाद अच्छा लगने लगा. अब वे अपनी वासना शांत करना चाहते थे. अब उनके चोदने से मेरी सांसें फूल गई थी पर अब की बार वे झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे। फिर उन्होंने मुझे हर पोजीशन में चोदा. मैं पड़ी पड़ी बस उनका साथ दे जा रही थी.

लेकिन इस बार भी मैं एक बार फिर झड़ गई और कुछ देर बाद इनके बॉस भी झड़ गए और सारा पसीना पसीना हो गए.
फिर मेरे हस्बैंड हम सबके लिए कुछ ठंडा लेकर आए और हमने फिर आराम किया.

आज मैं इनके बॉस को खुश कर चुकी थी.

फिर मैंने उनसे अपने हस्बैंड का प्रमोशन मांगा तो उन्होंने मुझे मुस्कुरा कर हां में जवाब दिया। मैं और मेरे हस्बैंड एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे क्योंकि आज हमारी ख्वाहिश भी पूरी हो चुकी थी और हमारी फाइनेंशियल स्थिति भी बेहतर होने जा रही थी.

फिर उनके बॉस ने मेरे हस्बैंड को कुछ पैसे भी दिए और कहा- आगे जब भी मनीषा जी को मेरी जरूरत हो तो मुझे याद कर लेना.

वे यह कहकर जाने लगे तो मैंने जाकर उनके बॉस को अपनी बांहों में भर लिया. मेरे हस्बैंड यह सब देख रहे थे क्योंकि उन्होंने हमें वो दे दिया था जो हमने सोचा भी नहीं था.
फिर वे चले गए.

और फिर मेरे हस्बैंड ने मुझे अपने सीने से लगा लिया.

आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसे कुछ नया मिले … चाहे वह सेक्स लाइफ हो या फिर अपनी खुद की लाइफ!
हमने जो किया, हमें नहीं पता कि वह गलत था या सही … पर हमें इसके बदले बहुत कुछ मिल चुका था जिसकी आगे चलकर हमें बहुत जरूरत पड़ने वाली थी।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? कृपया मुझे ईमेल कर कर जरूर बताएं.

Kaithwasshruti@gmail.com

Sunday 11 August 2019

मेरी सुहागरात की रियल स्टोरी

हैलो! कैसे हो दोस्तो, मैं सपना एक बार फिर से एक नई कहानी लेकर हाजिर हुई हूँ और आशा करती हूँ कि आपको ये सच्ची घटना भी पसंद आएगी.
          


जैसा कि आपको पता है कि मैं राजस्थान से हूँ और आप मेरे से वाकिफ हैं तो ज्यादा टाईम न लेते हुए आपको अपनी कहानी बताने की कोशिश कर रही हूं और सोचती हूँ कि आपको मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी.

मैं अब तक 5-6 बार चुदाई करवा चुकी थी. मैंने ये चुदाई अपने जीजा के साथ ही करवाई थी और ये सब शादी से पहले ही हो चुकी थी. पहले दिन एक बार ही चुदी थी. फिर दूसरे दिन फिर एक बार और उसके बाद रात में चार बार. हर बार सेक्स का अलग-अलग अनुभव मिला.

तीन बार जयपुर में और फिर मेरे जीजाजी जब मेरे गाँव आए थे तब किया था. उसके बाद कई दिनों तक सेक्स नहीं किया लेकिन मेरी सहेली के साथ जरूर लेस्बियन सेक्स किया और उसे भी सेक्स का अनुभव सिखाया.

उसके दो साल बाद मेरी शादी फ़िक्स हो गई. तब मुझे चिंता सताने लगी कि अपने पति को सील के बारे में कैसे बताऊँ. कहीं उसे पता चल गया तो क्या होगा? लड़का किसी से भी सेक्स कर ले फिर भी उसका पता नहीं चलता मगर लड़की एक बार चुदाई करवा ले तो उसका पता चल जाता है. मेरे सामने भी अब यही समस्या थी.


मैंने जीजाजी से बात की तो एक बार तो उन्हें भी समझ में नहीं आया पर फिर वो बोले कि मैं कुछ करता हूं. शादी में जीजाजी आए और बड़ी धूमधाम से शादी हो गई.

हमारे यहां शादी में दुल्हन के साथ कोई एक आदमी जाता है जो कि दुल्हन को दो दिन के बाद वापस लेकर आ जाता है. मेरे साथ जीजाजी गए थे. शाम को मैंने सिर दर्द की शिकायत की तो जीजाजी ने मुझे एक टेबलेट खाने को दी और कहा कि ये खा लो जिससे कि तुम्हें मासिक धर्म शुरू हो जायेगा और इसके साथ ही तुम थोड़ा सा नाटक भी कर लेना. मैंने भी ये सोच कर गोली खा ली कि किसी तरह तो इस चिंता से छुटकारा मिले.

गोली खाने के कुछ समय बाद ही मेरी चूत से गन्दा खून निकलना शुरू हो गया. मैंने वहां पर किसी लड़की को ये बात बताई और उससे कहा कि वो मुझे पैड लाकर दे. उसने मुझे पैड लाकर दे दिया और फिर मैंने पैड लगा लिया. अब मुझे अपनी मुश्किल थोड़ी आसान लगने लगी थी.

मेरे पति की फौज में नौकरी थी और उन्हें नौकरी करते हुए एक साल हो गया था. उनका नाम विक्रम सिंह है और वो शादी के लिए पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर आये थे. दस दिन तो शादी से पहले ही निकल गये थे. अब बाकी के पांच दिन और रह गये थे.

रात को करीब 11 बजे वो मेरे कमरे में आये तो मैं पलंग के एक कोने पर बैठी हुई थी.

मैं ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे छुई-मुई का पौधा हूं. अगर कोई मुझे छू लेगा तो मैं एकदम से अपनी पत्तियां बंद कर लूंगी. जबकि मेरी चूत तो पहले ही लंड खा चुकी थी. मगर थोड़ा सा नाटक तो करना पड़ता ही है ताकि पति को ये दिखा सकूं कि मैंने अपने बदन पर किसी मर्द की छाया तक नहीं पड़ने दी है.

अब मेरा मर्द तो जवान लड़का था. उसको तो सेक्स का परमिट मिला हुआ था. वो आकर बेड पर बैठ गया. पहले तो दो मिनट तक कुछ नहीं किया. फिर जब उन्होंने देखा कि कोई शुरूआत हो ही नहीं रही है तो फिर हल्का सा खांसने लगे. मैं फिर भी दुबक कर बैठी रही. एकदम भीगी बिल्ली बनी हुई थी. वैसे तो लंड को चूत में लेने में मुझे कोई परेशानी नहीं थी लेकिन यहां पर बात पति के लंड को चकमा देने की थी. इसलिए यह सब नाटक करना जरूरी था.

जब मैं बिल्कुल नहीं हिली तो वो मेरे पास आ गये. मेरे कंधे पर हाथ रखा. मैंने कुछ नहीं कहा. फिर वो मुझे पीछे बेड पर आने के लिए कहने लगे. मैं फिर भी शरमाती रही. अब मेरे कोमल बदन को छूने के बाद उनके लंड में तूफान तो उठ ही गया था इसलिए वो मुझे अपनी गोद में उठाने लगे. मैंने चेहरा नीचे ही रखा.

फिर उन्होंने मुझे किनारे से उठा कर पीछे बैठा दिया. वो नीचे खड़े होकर अपने कपड़े निकालने लगे. पहले कुर्ता निकाला और फिर पजामा.

उनके कच्छे में उनका लंड तना हुआ था. मैं नीचे नजर किये हुए चुपके से उनको देख रही थी. अभी तक तो मैंने जीजा का बदन और लंड ही देखा था. आज एक नया जवान लड़का सामने नंगा होते हुए देख कर चूत में खुजली होने लगी थी. ऊपर से उनका लंड कच्छे में ऐसे तना हुआ था जैसे कोई मोटा सा केला हो. चूत में पानी आने लगा. लेकिन मैं कुछ करना नहीं चाह रही थी. अभी तो बस ये सोच रही थी कि इनको किसी तरह अपनी चुदी हुई चूत से दूर रखना है.
             


जब वो मेरे पास आये तो मैं पीछे खिसक गई. वो और पास आये तो मैं और पीछे खिसक गई. वो बेड पर चढ़ गये तो मैं नीचे उतर गई और एक तरफ जाकर खड़ी हो गई.

पतिदेव हैरान थे. मगर फौजी थे इसलिए इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे. खड़े हुए लंड के साथ ही मेरी तरफ लपके और मुझे बांहों में भरने लगे. मैंने सोचा कि अगर जुबान नहीं खोली तो ये अपने मूसल लंड से मेरी चूत खोल कर रख देंगे और फिर सारे राज आज ही खुल जायेंगे.

मैंने कहा- आप से कुछ कहना है.
वो बोले- तो कहो. इस तरह से दूर-दूर क्यों जा रही हो.
मैंने कहा- मेरा मासिक धर्म चल रहा है. अभी आज के दिन ये सब रहने दीजिये.
वो बोले- मासिक धर्म से क्या फर्क होता है, अब तो हम पति-पत्नी हैं. अब तो ऐसी कोई रुकावट का डर नहीं होना चाहिए.

कहकर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने फिर कहा- लेकिन … दो-तीन दिन के बाद कर लीजियेगा.
वो बोले- मुझसे रुका नहीं जा रहा है. अब किस बात का डर है?
इतना कहकर उन्होंने मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.

वैसे चुदना तो मैं पहले से ही चाह रही थी लेकिन उनके मजबूत हाथों ने जब मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाना और मसलना शुरू कर दिया तो मेरे अंदर भी सेक्स की इच्छा तेज होने लगी.

उसके बाद वो मुझे गर्दन पर चूमने लगे. अभी तक तो सब कुछ प्यार से हो रहा था. उनका मोटा लंड मुझे मेरी गांड पर छू रहा था. मैंने अपनी गांड पर उनका मोटा लंड महसूस किया तो मेरी चूत तक उसकी गर्मी पहुंचने लगी. अब तक मेरे पति का जोश भी बढ़ने लगा था. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और मुझे बेड पर फिर से ले गये.


पहले मेरी ओढ़नी उतारी और फिर कमीज. मेरी ब्रा जैसे ही उनको दिखाई दी उन्होंने मेरे कबूतरों को अपनी उंगलियों में दबोच लिया और मुझे बेड पर लेकर गिर गये. अपने फौलादी हाथों से मेरे चूचों को मसलते हुए होंठों को काटने लगे.


            


दो मिनट के अंदर ही उन्होंने मुझे गर्म कर दिया और मैंने सारी लाज शर्म का नाटक छोड़ कर उनका साथ देना शुरू कर दिया. फिर वो मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों पर चूमने लगे. पहले चूमा और फिर जोर से मसल दिया. फिर उन्होंने मेरी ब्रा को खोल दिया. मेरे चूचे नंगे हो गये. उनके मजबूत हाथों की पकड़ से पहले ही मेरे चूचे लाल हो चुके थे.

वो मेरे चूचों को अपने मुंह में लेकर पीने लगे और मेरे अंदर चुदास भरने लगी. उन्होंने मेरा लहंगा उठा दिया और हाथ अंदर डाल दिया. मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी गीली चूत को मसलने लगे. मैंने उनको अब बांहों में भर लिया और प्यार करने लगी. उनके होंठों के रस को पीने लगी और वो मेरे होंठों को काटने लगे तो कभी गर्दन पर काटने लगे और चूसने लगे.

फिर उन्होंने लहंगा खोला और पैंटी पर झपट पड़े. मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने लगे. मुझे डर लग रहा था कि कहीं भेद न खुल जाये कि मैं पहले से ही चुदी हुई हूं. लेकिन साथ ही मजा भी बहुत आ रहा था.

उसके बाद उन्होंने मेरी पैंटी को उतार दिया और मेरी चूत को मसलने लगे. अब उनका लंड मेरे जिस्म के साथ टच हो रहा था. लंड काफी सख्त था और मेरे पैरों की उंगलियों पर टच हो रहा था. अब मेरा मन भी करने लगा था कि उनके लंड को पकड़ लूं लेकिन दुल्हन वाली शर्म अभी भी रोक रही थी.

वैसे भी अभी नहीं दो मिनट के बाद लंड तो मुझे मिलने ही वाला था. इसलिए मैंने खुद को रोक रखा था क्योंकि मेरे पति के अंदर ही इतना सेक्स भरा हुआ था कि सारी इच्छाएं वो ही पूरी करने वाले थे. फिर मेरे इंतजार के पल भी खत्म हो गये.


उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने मोटे लंड पर मेरे हाथ को रखवा दिया. मैंने उनके लंड को छुआ तो मजा आ गया. पति का लौड़ा मेरे जीजा के लंड से काफी मोटा और लम्बा था. सच में मेरी चूत की तो किस्मत ही खुल गई थी. मेरा तो सपना था कि मुझे ऐसे ही लंड वाला पति मिले. उन्होंने अपने लंड पर मेरा हाथ रखवा कर मेरे हाथ को उस पर दबाने लगे.

            

अब तो मेरा खुद ही मन करने लगा था कि उनके लंड को अपने हाथ में लेकर अच्छी तरह से उसको प्यार करूं. फिर उन्होंने अपना कच्छा निकाल दिया और गर्म लंड मेरे हाथ में दे दिया.

अभी भी मैं नाटक करती रही तो उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर अपने लंड पर चलाना शुरू किया और अपने लंड की मुठ मारने लगे. दो मिनट तक मुठ मरवाने के बाद उन्होंने मेरी पैंटी को खींच कर अलग कर दिया और फिर मेरे ऊपर टूट पड़े. मेरे नंगे चूचों को जोर से मसलते हुए भूखे शेर की तरह मेरे जिस्म को यहां-वहां से काटने लगे.

मेरी चूत अब लंड लेने के लिए तड़प उठी थी. अब मैंने लाज शर्म को झाड़ू मारा और लग गई उनके बदन को चूसने में. वो मेरे चूचों को ऐसे पकड़ कर खींचने लगे कि जैसे उखाड़ देंगे. फिर मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी चूत की फांकों को खोल कर अपना मूसल लंड मेरी चूत पर रख दिया और पूरा जोर लगा कर धक्का मारा तो मेरी चीख निकल गई. लेकिन उन्होंने मेरे मुंह पर अपनी बड़ी सी हथेली रखते हुए उसको ढक दिया.

बाहर औरतें शादी के गीत गा रही थीं. हमारे यहां रिवाज है कि सुहागरात वाले दिन औरतें गीत गाती हैं. उस समय पूरी रात औरतें रात-जगाती हैं. दूल्हा और दुल्हन अपनी चुदाई के चुदाई के साथ ही औरतें के सुर में अपने लंड और चूत से चुदाई की ताल मिलाते हैं. मेरे पति के फौजी लंड ने भी पच-पच की आवाज के साथ मेरी चूत को बजाना शुरू कर दिया. ऐसे चोद रहे थे जैसे जीवन में कभी दोबारा उनको चूत नहीं मिलेगी.

मेरी चूत पूरी फैल गई थी और मुझे इतना आनंद आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती. बाहर औरतों के गीत चल रहे थे और अंदर हमारी चुदाई का राग. मेरे पति ने अपने मोटे लंड से मेरी चूत को ऐसे ठोका कि मैं पांच मिनट में ही झड़ गई.

उनका फौलादी जिस्म बहुत तगड़ा था और वैसा ही उनका लंड था. जीजा और साली की चुदाई तो मैं भूल ही गई थी. मुझे सच में मेरे पति ने बहुत मजा दिया. रात भर उन्होंने चार बार मेरी चूत मारी. मेरी चूत की इतनी ठुकाई की, इतनी ठुकाई की कि अगले दिन सुबह उठी तो मेरे पांव नहीं उठ रहे थे.


मैं जब औरतों के पास पहुंची वो भी मेरा मजाक बनाने लगीं. सुबह मेरी ननद और भाभी ने बताया कि तुम्हारी आवाज तो बाहर तक आ रही थी. सच में विक्रम को तो बिल्कुल फ्रेश माल मिला है.


             

जब मैं नहा कर बाहर आई तो गांव की औरतों ने मेरा चेहरा देखा जिस पर चूसने और काटने के कई निशान थे. मुझे भी शर्म आ रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी. मर्दों को तो सुहागरात में अपने मन और अपने लंड की शांति के लिए जो भी करना होता है वो सब करते हैं. इस बात से सब औरतें भी वाकिफ होती हैं इसलिए सब मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थीं.

फिर अगले चार दिन मैं ससुराल में रही. मेरे पति ने रात में चुदाई के अलावा और कुछ नहीं किया. वो उन चार रातों में मेरी चुदाई ही करते रहे. मैं तन और मन दोनों से खुश हो गई. चूंकि उनका लंड बहुत मोटा था इसलिए उनको मेरी सील टूटने के बारे में कुछ नहीं पता चला. मैं भी इस बात से खुश थी कि मेरी चिन्ता अब खत्म हो गई है. जीजा की मदद से मैंने अपने फौजी पति को भी बेवकूफ बना दिया था.



  • ये मेरी सच्ची कहानी है जो कि मेरे पति के साथ वास्तविक सुहागरात थी. आशा करती हूँ कि आपको ये सच्ची कहानी भी पसंद आई होगी.